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"जय गोविन्दम जय गोपाल / विनीत पाण्डेय" के अवतरणों में अंतर

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महंगाई की मार से भईया जनता है बेहाल
बोलो जय गोविन्दम जय गोपाल
सुरसा के मुख-सी महंगाई रोज़ गगन को छूती जाए
बाजारों का हाल देख कर हाय कलेजा मुँह को आए
थोड़ी-सी शॉपिंग करने में ख़त्म जेब का माल
बोलो जय गोविन्दम जय गोपाल
महंगी हो गई गैस महंगा डीजल और पेट्रोल हुआ
महंगी हो गई चाय पकोड़े महंगा अंडा रोल हुआ
आलू, लौकी, प्याज, टमाटर, महंगे चावल, दाल
बोलो जय गोविन्दम जय गोपाल
महंगाई के चक्रव्यूह में अभिमन्यु से फंसे हुए
हम पर हमला करने को बाज़ार क़मर है कसे हुए
कैसे निकले चक्रव्यूह से है बस यही सवाल
बोलो जय गोविन्दम जय गोपाल
कहती है सरकार हमेशा महंगाई कंट्रोल कर रही
इधर बिचारी जनता दिनभर केवल भाव तोल कर रही
घोटालेबाजों को जनता का है कहाँ ख़्याल
बोलो जय गोविन्दम जय गोपाल