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"फूल के बाद, फलना ज़रूरी लगा / जहीर कुरैशी" के अवतरणों में अंतर

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::हिम की भट्टी में जलना ज़रूरी लगा।
 
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मोमबत्ती से उजियार की चाह में,
 
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मोम बन कर पिघ्हलना ज़रूरी लगा।
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मोम बन कर पिघलना ज़रूरी लगा।
::उनके पैरों से चलकर न मंज़िल इली,
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::उनके पैरों से चलकर न मंज़िल मिली,
::अपने पँवों पे चलना ज़रूरी लगा।
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आदमीयत की रक्षा के परिप्रेक्ष्य में
 
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विश्व-युद्धों का टलना ज़रूरी लगा।
 
विश्व-युद्धों का टलना ज़रूरी लगा।
 
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19:32, 4 दिसम्बर 2008 का अवतरण

फूल के बाद फलना ज़रूरी लगा,
भूमिकाएँ बदलन ज़रूरी लगा।
दर्द ढलता रहा आँसुओं में मगर
दर्द शब्दों में ढलना ज़रूरी लगा।
'कूपमंडूक' छवि को नमस्कार कर,
घर से बाहर निकलना ज़रूरी लगा।
अपने द्वंद्वों से दो-चार होते हुए,
हिम की भट्टी में जलना ज़रूरी लगा।
मोमबत्ती से उजियार की चाह में,
मोम बन कर पिघलना ज़रूरी लगा।
उनके पैरों से चलकर न मंज़िल मिली,
अपने पाँवों पे चलना ज़रूरी लगा।
आदमीयत की रक्षा के परिप्रेक्ष्य में
विश्व-युद्धों का टलना ज़रूरी लगा।