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"गाँव इतना ज़्यादा बदल जाएगा मैंने सोचा न था / ज्ञान प्रकाश विवेक" के अवतरणों में अंतर

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उम्र के साथ सब कुछ बदल जाएगा मैंने सोचा न था
 
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इक खिलौना जो मिट्टी का लाया था मैं जाके बाज़ार में
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इक खिलौना जो मिट्टी का लाया था मैं जाके बाज़ार से
 
वो भी बारिश के पानी में गल जाएगा मैंने सोचा न था.
 
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17:08, 7 दिसम्बर 2008 का अवतरण

गाँव इतना ज़ियादा बदल जाएगा मैंने सोचा न था
वो शहर से भी आगे निकल जाएगा मैंने सोचा न था

मरकरी बल्ब की रोशनी देखकर तेरे पण्डाल की
मेरे घर का अँधेरा मचल जाएगा मैंने सोचा न था

खोटे सिक्के तो कम रोशनी में दुकानों पे देता रहा
पर फटा नोट भी मेरा चल जाएगा मैंने सोचा न था

ये तो मालूम था कि मेरे तन की दीवार झुक जाएगी
उम्र के साथ सब कुछ बदल जाएगा मैंने सोचा न था

इक खिलौना जो मिट्टी का लाया था मैं जाके बाज़ार से
वो भी बारिश के पानी में गल जाएगा मैंने सोचा न था.