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"आज नहीं तो कल होगा / श्याम सखा 'श्याम'" के अवतरणों में अंतर

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दोस्त कहां फ़िर जल होगा
 
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आज बहुत रोया है दिल
 
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आँगन बीच अकेला है
 
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बूढ़ा सा पीपल होगा
 
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दर्द भरे हैं अफ़साने
 
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दिल कितना घायल होगा
 
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पीर सभी की सुनता है
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उअह तो खुद से छल होगा
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रोज कलह होती घर में
 
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रिश्तों मे दल-दल होगा
 
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08:57, 16 दिसम्बर 2008 के समय का अवतरण

आज नहीं तो कल होगा
हर मुश्किल का हल होगा

जंगल गर औझल होगा
नभ भी बिन बादल होगा

नभ गर बिन बाद्ल होगा
दोस्त कहां फ़िर जल होगा

आज बहुत रोया है दिल
भीग गया काजल होगा

आँगन बीच अकेला है
बूढ़ा सा पीपल होगा

दर्द भरे हैं अफ़साने
दिल कितना घायल होगा

छोड़ सभी जब जाएंगे
‘तेरा ही संबल होगा

झूठ अगर बोलोगे तुम
यह तो खुद से छल होगा

रोज कलह होती घर में
रिश्तों मे दल-दल होगा