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"आत्म-विश्लेषण / श्याम सखा 'श्याम'" के अवतरणों में अंतर
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भला
लगता है
आंगन में बैठना
धूप सेंकना
पर
इसके लिये
वक़्त कहां ?
वक़्त तो बिक गया
सहूलियतों की तलाश में
और अधिक-और अधिक