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सच न बोलना / नागार्जुन

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जन-गण-मन अधिनायक जय हो, प्रजा विचित्र तुम्हारी है<br>
भूख-भूख चिल्लाने वाली अशुभ अमंगलकारी है!<br>
बंद सेल, वेगूसराय बेगूसराय में नौजवान दो भले मरे<br>
जगह नहीं है जेलों में, यमराज तुम्हारी मदद करे। <br><br>
एक बार जो फिसले अगुआ, फिसल रहे हैं फिर-फिर-फिर!<br><br>
छुट्टा घूमैं घूमें डाकू गुंडे, छुट्टा घूमैं घूमें हत्यारे,<br>
देखो, हंटर भांज रहे हैं जस के तस ज़ालिम सारे!<br>
जो कोई इनके खिलाफ़ अंगुली उठाएगा बोलेगा,<br>
जेलों में ही जगह मिलेगी, जाएगा वह जहां कहीं!<br><br>
सपने में भी सच न बोलना, वनो वर्ना पकड़े जाओगे,<br>
भैया, लखनऊ-दिल्ली पहुंचो, मेवा-मिसरी पाओगे!<br>
माल मिलेगा रेत सको यदि गला मजूर-किसान किसानों का,<br>
हम मर-भुक्खों से क्या होगा, चरण गहो श्रीमानों का!<br><br>