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"डरपत मन मोरा / सुधीर सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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20:20, 21 दिसम्बर 2008 का अवतरण

सुनो,
आकाश में जब भी गरजते हैं मेघ,
कड़कती हैं बिजलियां
मेरा भी मन डरता है
ठीक तुम्हारी तरह
प्रिया से दूर हूं मैं
इंद्रप्रस्थ में एकाकी.
</poem