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"लड़का जाग रहा है / रवीन्द्र स्वप्निल प्रजापति" के अवतरणों में अंतर
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17:52, 28 दिसम्बर 2008 का अवतरण
धीरे-धीरे लड़का जाग रहा है
धीरे-धीरे लड़का देख रहा है
लड़का सूरज जैसा है
लाल-लाल हँसते अंगारों जैसा
तिरछी आंखों से देख रहा है
कड़वा मुंह लेकर दांतों में ओठ दबाये है
लड़का जाग रहा है
अकेला-अकेला घूम रहा है
इस शहर की एक गली मे है
गुस्से से भरा हुआ
अपने ही हाथों की नीली नसों मे सिमट रहा है
अपने पैरों को ठोक रहा है
टूट रहा है चटक रहा है
खाली हाथों को कमरे की दीवारों पर मार रहा है
यह लड़का तड़प रहा है
यह भारत का लड़का है