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"आदाब तुझे ऐ मेरे वतन लखनऊ/ विनय प्रजापति 'नज़र'" के अवतरणों में अंतर

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'''लेखन वर्ष: २००३'''<br/><br/>
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'''रचनाकाल : 2003

06:19, 29 दिसम्बर 2008 का अवतरण


आदाब तुझे ऐ मेरे वतन लखनऊ
आदाब तुझे मेरे जानो-तन लखनऊ

है कभी आईना कभी शराब-सा तू
है मेरी शोख़ी मेरा बाँकपन लखनऊ

है तू ही मुस्लमाँ और तू ही है हिन्दू
निकहते रहे तेरे गुलशन लखनऊ

लहज़ा लुत्फ़ ज़ुबाँ और मेरी यह ख़ू
हर चीज़ है जैसे मेरा चमन लखनऊ

है जन्नतो-इरम इसमें हर कू
लहू में दौड़ता है जाने-मन लखनऊ

रचनाकाल : 2003