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लेखन वर्ष: २००१-२००२

भोर पर केसर की सी लालिमा
किसी खिलते कुसुम की तारिणा
किसी वराह की सृष्टि का गोचर
आया नव वर्ष छंद आनन्द लेकर

नव पल्लव पर रवि का प्रथम उत्कार
मिला धरा को जैसे सुख स्वीकार
कोकिल की प्रथम वाणी का स्वर
आया नव वर्ष छंद आनन्द लेकर

मेघ आश्रुत से हुआ धरा शृंगार
पूर्ण चंद्र पर लायी चंद्रिका निखार
बह मधुशीर्य दे रही निज वर
आया नव वर्ष छंद आनन्द लेकर