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"मेरा जी है जब तक तेरी जुस्तजू है / ख़्वाजा मीर दर्द" के अवतरणों में अंतर
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00:38, 30 दिसम्बर 2008 का अवतरण
मेरा जी है जब तक तेरी जुस्तजू है|
ज़बान जब तलक है यही गुफ्तगू है|
ख़ुदा जाने क्या होगा अंजाम इस का,
मैं बेसबर इतना हूं वो तुन्द ख़ू है|
तमान्ना है तेरी अगर है तमान्ना,
तेरी आरजू है, अगर आरजू है|
किया सैर हमने गुलजार-ए-दुनिया,
गुल-ए-दोस्ती में अजब रंग- ओ-बू है|
ग़नीमत है ये दीद वा दीद-ए-यारा,
जहा मुंद गयी आँख, मैं हूँ न तू है|
नज़र मेरे दिल की पड़ी ‘दर्द’ किस पर,
जिधर देखता हूँ वही रू-ब-रू है|