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"खंडहर / प्रयाग शुक्ल" के अवतरणों में अंतर
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बारिश का भी नहीं । | बारिश का भी नहीं । | ||
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सिर्फ़ दीवारों को फोड़कर | सिर्फ़ दीवारों को फोड़कर | ||
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घास की | घास की | ||
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18:08, 1 जनवरी 2009 के समय का अवतरण
खंडहरों को किसी का इंतज़ार नहीं--
न ही उन चिड़ियों का जो उड़ती
हैं इन खंडहरों के ऊपर--
बारिश का भी नहीं ।
न धूप का ।
न तारों का ।
खंडहरों को चिन्ता है तो
सिर्फ़ दीवारों को फोड़कर
उगे पौधों की
घास की
जिनसे बंधे हैं वे ।