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"दूसरे शहर में / प्रयाग शुक्ल" के अवतरणों में अंतर
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18:09, 1 जनवरी 2009 के समय का अवतरण
चांद चढ़ रहा है
आकाश में--
इस शहर में ।
रिक्शों की घंटियाँ,
भोंपू गाड़ियों के,
तितर-बितर आवाज़ें ।
उठकर अचानक तुम
पकड़ नहीं सकते हो
अमुक अमुक नंबर की बस--
घर के लिए ।
चढ़ रहा है चांद,
एक दूसरे शहर में ।