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"कोहरे में / प्रयाग शुक्ल" के अवतरणों में अंतर

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आ-जा रहे हैं लोग
 
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जैसे हो छायाएँ--
 
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झूल रहा फटा
 
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हुआ पोस्टर--
 
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(इबारत को पढ़े कौन ?)
 
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चुप गीली पत्तियाँ ।
 
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बसें सरकती हुईं ।
 
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पटरी पर ठंड में
 
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मूंगफली
 
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बेच रहा
 
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लड़का ।
 
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ठिठुरन--
 
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ठिठुरन एक ।
 
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कोहरे में--
 
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शहर एक और ।
 
शहर एक और ।
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18:24, 1 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

कोहरे को
भेदकर
लटका है चंद्रमा
किसी तरह ।

आ-जा रहे हैं लोग
जैसे हो छायाएँ--

झूल रहा फटा
हुआ पोस्टर--
(इबारत को पढ़े कौन ?)

चुप गीली पत्तियाँ ।

बसें सरकती हुईं ।
पटरी पर ठंड में
मूंगफली
बेच रहा
लड़का ।

ठिठुरन--
ठिठुरन एक ।
कोहरे में--
शहर एक और ।