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"न मंदिर में सनम होते / नौशाद लखनवी" के अवतरणों में अंतर
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हमीं से यह तमाशा है, न हम होते तो क्या होता | हमीं से यह तमाशा है, न हम होते तो क्या होता | ||
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हमीं खुद उठ गए होते, इशारा कर दिया होता | हमीं खुद उठ गए होते, इशारा कर दिया होता | ||
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00:31, 6 जनवरी 2009 का अवतरण
न मंदिर में सनम होते, न मस्जिद में खुदा होता
हमीं से यह तमाशा है, न हम होते तो क्या होता
न ऐसी मंजिलें होतीं, न ऐसा रास्ता होता
संभल कर हम ज़रा चलते तो आलम ज़ेरे-पा होता
ज़ेरे-पा: under feet
घटा छाती, बहार आती, तुम्हारा तज़किरा होता
फिर उसके बाद गुल खिलते कि ज़ख़्मे-दिल हरा होता
बुलाकर तुमने महफ़िल में हमको गैरों से उठवाया
हमीं खुद उठ गए होते, इशारा कर दिया होता
तेरे अहबाब तुझसे मिल के भी मायूस लॉट गये
तुझे 'नौशाद' कैसी चुप लगी थी, कुछ कहा होता