भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ऊहापोह / जयप्रकाश मानस

6 bytes added, 21:01, 4 मार्च 2008
}}
उफनती उफ़नती नदी की शक्ल में
मसकता है लावा
जैसे छिटककर कोई बीज पेड़ से
विवेक गम गुम हो जाता है
जैसे अनाड़ी के हाथ से
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,277
edits