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"कविता नयनतारा डैश डैश डैश / कुमार अनुपम" के अवतरणों में अंतर

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खोई हुई सरस्वती के सुराग
 
खोई हुई सरस्वती के सुराग
  
अबोध आँखों कीप्यास अथाह
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अबोध आँखों की प्यास अथाह
 
भटकती तलाशती नयनतारा
 
भटकती तलाशती नयनतारा
 
सुनामी के अवक्षेप में
 
सुनामी के अवक्षेप में

19:13, 11 जनवरी 2009 का अवतरण

तह करके
रखता रहा हूँ
सपने कई स्थगित और अधनींद
और यन्त्रवत भटकते कई सफ़र भी

कि चलने से ही
नहिं तय होती हैं दूरियाँ

अर्थ का शिल्प है एक अबोला भी
वर्णमाला की मूर्तता के विरुद्ध

जहाँ लिखा है ज़ीरो किलोमीटर
वहीं से ही
नहीं शुरू होती राह
जैसे शब्द जो दुहराए जा रहे आदतन
नियमित ध्वनि तक ही
नहीं उनका आयतन

स्वन का सौन्दर्यशास्त्र
अनूठा उनके हित
सम्बन्ध भी नहीं
जिनका स्वर से

जूड़े में खुभा बैंजनी एक फूल भर
नहीं हैं स्मृतियाँ
भोपाल अफ़गानिस्तान नन्दीग्राम भी है
खोई हुई सरस्वती के सुराग

अबोध आँखों की प्यास अथाह
भटकती तलाशती नयनतारा
सुनामी के अवक्षेप में
कविता '...' के स्वागत में प्रतीक्षातुर

कि सम्भावना एक ज़िन्दा शब्द है।