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04:30, 14 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

माना ऊँची
बहुत ऊँची
बन रही हैं इमारतें
आसमान को छूती हुई
लेकिन हरेक की
नींव रखने के साथ ही
मिट्टी में धँसी हुईं
आस-पास उगी हैं
अनेक झुग्गियाँ
जिनके बिना
कुछ भी नहीं
ये इमारतें।