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अदालत पूछना चाहे तो मलबा बोल सकता है
कई चेहरे अभी तक मुंहजबानी मुँहज़बानी याद हैं इसको
कहीं तुम पूछ मत लेना ये गूंगा बोल सकता है
यहां यहाँ पर नफरतों नफ़रतों ने कैसे कैसे गुल खिलाये हैं
लुटी अस्मत बता देगी दुपट्टा बोल सकता है
बहुत सी कुर्सियां कुर्सियाँ इस मुल्क में लाशों पे रखी हैं
ये वो सच है जिसे झूठे से झूठा बोल सकता है
सियासत की कसौटी पर परखिये मत वफादारीवफ़ादारीकिसी दिन इंतकामन इंतक़ामन मेरा गुस्सा बोल सकता है