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"शिकायत बॉक्स / तुलसी रमण" के अवतरणों में अंतर

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00:44, 15 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

कुछ इधर आते
कुछ उधर जाते
       पहियों पर लोग
घूमता रहता पहिया
घुलमिल जाती दुनिया
परस्पर बेगाने होते लोग
पहिये में घूमता है
आदमी का अहम्
उसके लपकते हाथ और
सामान्य से कहीं ज़्यादा
         खुला हुआ मुंह
पका हुआ कुंठा का विष-फल
चीखता रहता कंडक्टर
उंघता जाता ड्राइवर
गोद में शिकायत लेकर
कुहनियों पर सिर टिकाये
         सो जाते लोग
कौन किसकी सुनता है
क्यों कौन किसे कहे
निहायत जरूरी होते हुए भी
गैर जरूरी होकर कितना वीरान है
         शिकायत बॉक्स
सब ठीक चल रहा हो जैसे
तमाम शिकायतों के रहते भी
कितना भयानक है
बराबर खाली रहकर
इसका टंगा रहना
और सोये हुए लोगों पर
मुस्कुरा देना