भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मुँह काला / तुलसी रमण" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसी रमण |संग्रह=ढलान पर आदमी / तुलसी रमण }} <poem> दी...)
 
(कोई अंतर नहीं)

01:31, 15 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

दीप्त मुखमण्डल पर
         काला टीका
दूध और छाछ में
बुझा हुआ अंगार
आलीशान कोठी के माथे पर
एक भयानक, वीभत्स मुखौटा
बिट्टू, निट्टू और सपना की
सुन्दर गाड़ी की ठोड़ी पर
लटकता फटा पुराना उल्टा जूता
अगली से अगली सदी में भी
दादा के परदादा की साथ रहेगी बात
दूसरे का मुंह काला करने के लिये
हर बार कालिख से पोतना होता है
अपना उजला चेहरा