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"पिता जी ( शब्दांजलि-५) / नवनीत शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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10:50, 15 जनवरी 2009 का अवतरण


 

पिता

उसकी जेब में पड़ी कलम

के कारण विनम्र हो गए हैं उसके शब्‍द

ख़त्‍म होने को डराते

चावल के पेड़ू ने कर दिया है उसे

सावधान

उदासियों में

बदहवासियों में वह सीख गया है बनना

अपना बाप

अपने आप.