भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पिता जी ( शब्दांजलि-५) / नवनीत शर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नवनीत शर्मा |संग्रह= }} Category:कविता <poem> पिता उसकी ...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:50, 15 जनवरी 2009 का अवतरण
पिता
उसकी जेब में पड़ी कलम
के कारण विनम्र हो गए हैं उसके शब्द
ख़त्म होने को डराते
चावल के पेड़ू ने कर दिया है उसे
सावधान
उदासियों में
बदहवासियों में वह सीख गया है बनना
अपना बाप
अपने आप.