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"घर -४ / नवनीत शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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उस परि‍चित से लगने वाले
 
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बुजुर्ग की बेतरतीब दाढ़ी बहुत उदास करती है
 
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जैसे मिला न हो कोई हज्‍जाम बरसों से
 
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लोग इसे छूटा हुआ घर कहते हैं।
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12:03, 15 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

 
उस परि‍चित से लगने वाले
बुजुर्ग की बेतरतीब दाढ़ी बहुत उदास करती है
जैसे मिला न हो कोई हज्‍जाम बरसों से
लोग इसे छूटा हुआ घर कहते हैं।