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"उषस / ओमप्रकाश सारस्वत" के अवतरणों में अंतर
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यह दिवस-बाल-पिपासितों को- | यह दिवस-बाल-पिपासितों को- | ||
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तुम विश्व वरने को उठो, | तुम विश्व वरने को उठो, | ||
ऊषा-समान अरे मनुज ! | ऊषा-समान अरे मनुज ! | ||
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21:37, 15 जनवरी 2009 के समय का अवतरण
आलोक का पहले वसन
ऊषा सुनहली आ रही
धर हाथ पर जागरण का-
दीपक, रुपहली गा रही-
जागो ! उठो ! कुछ कर्म करो,
निज कर बढ़ाओ हे मनुज!
यह सूर्य के रथ की पताका-
विजय-वेला आरती,
यह वेद की पावन ऋचा-
यह प्रभा मंडल भारती,
इसको सतत् सत्कारने को,
पग बढ़ाओ हे मनुज !
यह पूर्व के दिग्देवता की-
धेनु है ममतामयी,
यह दिवस-बाल-पिपासितों को-
शांति दे, समतामयी,
इसके खुरों की डार से
पावन हआ प्रत्येक कण
तुम राग भरने को उठो,
तुम त्याग करने को उठो,
तुम भाग्य भरने को उठो,
तुम तमस् हरने को उठो,
तुम विश्व वरने को उठो,
ऊषा-समान अरे मनुज !