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"हुस्न-ए-अदा भी खूबी-ए-सीरत में चाहिए / दाग़ देहलवी" के अवतरणों में अंतर

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23:46, 15 जनवरी 2009 का अवतरण

हुस्न-ए-अदा भी खूबी-ए-सीरत में चाहिए,

यह बढ़ती दौलत, ऐसी ही दौलत में चाहिए ।


आ जाए राह-ए-रास्त पर काफ़िर तेरा मिज़ाज,

इक बंदा-ए-ख़ुदा तेरी ख़िदमत में चाहिए ।


देखे कुछ उनके चाल-चलन और रंग-ढंग,

दिल देना इन हसीनों को मुत में चाहिए ।


यह इश्क़ का है कोई दारूल-अमां नहीं,

हर रोज़ वारदात मुहब्बत में चाहिए ।


माशूक़ के कहे का बुरा मानते हो ‘दाग़‘,

बर्दाश्त आदमी की तबीअत में चाहिए ।


हुस्न-ए-अदा: बात करने का सलीक़ा,

सीरत: चरित्र,

राह-ए-रास्त: सीधा रास्ता,

दारूल-अमां: शांति स्थल ।