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"हुस्न-ए-अदा भी खूबी-ए-सीरत में चाहिए / दाग़ देहलवी" के अवतरणों में अंतर

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हुस्न-ए-अदा भी खूबी-ए-सीरत में चाहिए,
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यह बढ़ती दौलत, ऐसी ही दौलत में चाहिए।
  
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आ जाए राह-ए-रास्त पर काफ़िर तेरा मिज़ाज,
यह बढ़ती दौलत, ऐसी ही दौलत में चाहिए ।<br>
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इक बंदा-ए-ख़ुदा तेरी ख़िदमत में चाहिए ।
  
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देखे कुछ उनके चाल-चलन और रंग-ढंग,
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यह इश्क़ का है कोई दारूल-अमां नहीं,
दिल देना इन हसीनों को मुत में चाहिए ।<br>
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हर रोज़ वारदात मुहब्बत में चाहिए ।<br>
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बर्दाश्त आदमी की तबीअत में चाहिए ।
  
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'''शब्दार्थ :
बर्दाश्त आदमी की तबीअत में चाहिए ।<br>
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सीरत: चरित्र,
 
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राह-ए-रास्त: सीधा रास्ता,
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दारूल-अमां: शांति स्थल ।
सीरत: चरित्र,<br>
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राह-ए-रास्त: सीधा रास्ता,<br>
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दारूल-अमां: शांति स्थल ।<br>
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02:33, 16 जनवरी 2009 का अवतरण

 
हुस्न-ए-अदा भी खूबी-ए-सीरत में चाहिए,
यह बढ़ती दौलत, ऐसी ही दौलत में चाहिए।

आ जाए राह-ए-रास्त पर काफ़िर तेरा मिज़ाज,
इक बंदा-ए-ख़ुदा तेरी ख़िदमत में चाहिए ।

देखे कुछ उनके चाल-चलन और रंग-ढंग,
दिल देना इन हसीनों को मुत में चाहिए ।

यह इश्क़ का है कोई दारूल-अमां नहीं,
हर रोज़ वारदात मुहब्बत में चाहिए ।

माशूक़ के कहे का बुरा मानते हो ‘दाग़‘,
बर्दाश्त आदमी की तबीअत में चाहिए ।

शब्दार्थ :
हुस्न-ए-अदा: बात करने का सलीक़ा,
सीरत: चरित्र,
राह-ए-रास्त: सीधा रास्ता,
दारूल-अमां: शांति स्थल ।