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"आँखें देखकर / गोरख पाण्डेय" के अवतरणों में अंतर
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ये आँखें हैं तुम्हारी | ये आँखें हैं तुम्हारी |
17:47, 16 जनवरी 2009 का अवतरण
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ये आँखें हैं तुम्हारी तकलीफ़ का उमड़ता हुआ समुन्दर इस दुनिया को जितनी जल्दी हो बदल देना चाहिये. </poem>