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"आँखें देखकर / गोरख पाण्डेय" के अवतरणों में अंतर

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|संग्रह=जागते रहो सोने वालो / गोरख पाण्डेय
 
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जितनी जल्दी हो बदल देना चाहिये.
 
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17:55, 16 जनवरी 2009 के समय का अवतरण



ये आँखें हैं तुम्हारी
तकलीफ़ का उमड़ता हुआ समुन्दर
इस दुनिया को
जितनी जल्दी हो बदल देना चाहिये.