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"लोकगीत / गोरख पाण्डेय" के अवतरणों में अंतर
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चन्दन लगे किवाड़ | चन्दन लगे किवाड़ | ||
पिया की याद सतावे. | पिया की याद सतावे. | ||
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भाई चुप भाभी | भाई चुप भाभी | ||
देता ताने | देता ताने | ||
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बचपन की मनुहार | बचपन की मनुहार | ||
नयन से नीर बहावे. | नयन से नीर बहावे. | ||
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परदेसी ने की जो अजब ठगी | परदेसी ने की जो अजब ठगी | ||
हुई धूल-माटी की | हुई धूल-माटी की |
18:37, 16 जनवरी 2009 के समय का अवतरण
झुर-झुर बहे बहार
गमक गेंदा की आवे!
दुख की तार-तार
चूनर पहने
लौट गई गौरी
नइहर रहने
चन्दन लगे किवाड़
पिया की याद सतावे.
भाई चुप भाभी
देता ताने
अब तो माई बाप न पहव्हानें
बचपन की मनुहार
नयन से नीर बहावे.
परदेसी ने की जो अजब ठगी
हुई धूल-माटी की
यह जिनगी
जोबन होवे भार
कि सुख सुपना हो जावे.