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"सखी लौट फिर फागुन आया / श्याम सखा 'श्याम'" के अवतरणों में अंतर

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मस्त हुई हूँ मैं भी
 
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साथ खड़े हैं मेरे दिलबर
 
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नयनो काजल बौराया
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नयनो का  काजल बौराया
 
भर-भर बैरन पिचकारी
 
भर-भर बैरन पिचकारी
 
अंग-अंग साजन ने मारी
 
अंग-अंग साजन ने मारी

06:32, 18 जनवरी 2009 का अवतरण

सखी लौट फिर फागुन आया
संदली सपने आँगन लाया
उपवन की कलियां खिलकर
हँसतीं भौरों से मिलकर
मस्त हुई हूँ मैं भी
साथ खड़े हैं मेरे दिलबर
नयनो का काजल बौराया
भर-भर बैरन पिचकारी
अंग-अंग साजन ने मारी
नयनो से जब मिले नयन
मै अपना सब-कुछ हारी
उनका हर अन्दाज मुझे भाया
सखी लौट फिर सावन आया