भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"उस शाम / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एनगिल |एक और दिन / अवतार एनगिल }} <poem> उस शाम श...)
(कोई अंतर नहीं)

22:52, 18 जनवरी 2009 का अवतरण

उस शाम
शरारती बच्चों जैसे
उन पहाड़ों ने
आँख मिचौनी खेलते हुए
सूरज को ख़ूब छकाया
उसकी दिप-दिप थाली पर
मारकर हाथ
सारा गुलाल
दिया उड़ा
और भाग खड़े हुए

अबकी बार
छिप गया
सूरज भी कहीं
नही मिला
देवदारुओं को ढूंढने पर भी

तब
मट्मैला बैंजनी सूट पहन
तारों की ओढ़नी लिए
पहाड पर
उतर आई रात