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"मातृभाषा / केदारनाथ सिंह" के अवतरणों में अंतर

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वायुयान लौटते हैं एक के बाद एक  
 
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हवाई अड्डे की ओर
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ओ मेरी भाषा
 
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मैं लौटता हूं तुम में
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जब चुप रहते-रहते  
 
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अकड़ जाती है मेरी जीभ
 
अकड़ जाती है मेरी जीभ

11:49, 19 जनवरी 2009 का अवतरण

जैसे चींटियाँ लौटती हैं
बिलों में
कठफोड़वा लौटता है
काठ के पास
वायुयान लौटते हैं एक के बाद एक
लाल आसमान में डैने पसारे हुए
हवाई-अड्डे की ओर

ओ मेरी भाषा
मैं लौटता हूँ तुम में
जब चुप रहते-रहते
अकड़ जाती है मेरी जीभ
दुखने लगती है
मेरी आत्मा