भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शिशु का आग्रह / मोहन साहिल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहन साहिल |संग्रह=एक दिन टूट जाएगा पहाड़ / मोहन ...)
 
(कोई अंतर नहीं)

01:06, 20 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

ओ जंगल!
तुम बचाकर रखना
सिर्फ एक जवान पेड़
मुझे झूलना है उसमें

ओ नदी!
अपनी एक धार
बस एक धार बचा कर रखना
मेरी प्रेरणा के लिए

ओ घाटी!
इसी तरह बिखेरे रहो
अपना अनुपम सौंदर्य
मुझे चाहिए प्रसन्नता

ओ खेत!
मत उगलना अभी तुम
पिलाया गया है तुम्हें जो ज़हर
मुझे जीवन चाहिए

ओ शिखर!
गिर मत पड़ना तू भरभराकर
मुझे भी होना है मजबूत
मैं लेता हूँ संकल्प
आज तक हुए तुम्हारे समस्त अपमानों का
प्रायश्चित करूँगा।