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"एक वस्त्र ही / तेजी ग्रोवर" के अवतरणों में अंतर

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01:22, 20 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

देह में
शब्द नहीं बन रहे
और समय

आज सारा दिन
खूँटी पर सफ़ेद शर्ट हिलती रही
चिड़ियाँ डरकर उड़ती रहीं-

'पानी पियो', कोई कहता है
'तेईस साल पहले की एक बूंद
ही सही, पियो तो'-
सूनी देह की ओर
अपनी देह की पूरी नमी से देखते हुए
कोई कहता है
शब्द सहज है
और दुख

कमरे में
एक वस्त्र ही हवा का उत्तर देता है