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<br>भल अनभल निज निज करतूती। लहत सुजस अपलोक बिभूती॥
<br>सुधा सुधाकर सुरसरि साधू। गरल अनल कलिमल सरि ब्याधू॥४॥
<br>गुन अवगुन जानत सब कोई। जो जेहि भाव नीक तेहि सोई॥५॥ 
<br>दो0-भलो भलाइहि पै लहइ लहइ निचाइहि नीचु।
<br>सुधा सराहिअ अमरताँ गरल सराहिअ मीचु॥५॥
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