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"सारनाथ की एक शाम / शमशेर बहादुर सिंह" के अवतरणों में अंतर
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02:46, 22 जनवरी 2009 का अवतरण
[त्रिलोचन के लिए]
ये आकाश के सरगम हैं
खनिज रंग हैं
बहुमूल्य अतीत हैं
या शायद भविष्य।
तू किस
गहरे सागर के नीचे
के गहरे सागर
के नीचे का
गहरा सागर होकर
भिंच गया है
अथाह शिला से केवल
अनिंद्य अवर्ण्य मछलियों के विद्युत
तुझे खनते हैं
अपने सुख के लिए।
(सुख तो व्यंग्य में ही है
और कहाँ
युग दर्शन
मित्र
छल का अपना ही
छंद है
क्रमशः...