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"मकई-से वे लाल गेहुँए तलवे / शमशेर बहादुर सिंह" के अवतरणों में अंतर

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02:49, 23 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

मकई-से वे लाल गेहुँए तलवे
मालिश से चिकने हैं।...

सूखी भूरी झाड़ियों में व्यस्त
चलती-फिरती पिंडलियाँ।
(मोटी डालें, जांघों से न अड़ें!)

सूरज को आईना जैसे नदियाँ हैं –
इन मर्दाना रानों की चमक
'उनको' खूब पसंद।...

यह वन शिव का स्थान।
शांत ज्योति में लय है ध्यान।
नभ-गंगा की शक्ति
सदा बरसती यहाँ।...

वज्र-गिरि। कमठ-कठोर।
सीधा चढ़ता, ऊर्ध्व दिशा की ओर।...

शेष नीला सूनापन।

(1940)