भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आस्थाओं की गीत / ओमप्रकाश सारस्वत" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओमप्रकाश सारस्वत |संग्रह=दिन गुलाब होने दो / ओमप...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:19, 23 जनवरी 2009 का अवतरण
सारी बस्ती आतंकित है सार शहर
उदास सारी घाटी
कर्फ्यू के घर काट रही
दिन रात
जितने भी
सदभावों के थे
नदी
फूल
झरने
जहरीले
मौसम में
घुट-घुट
लगे सांस
भऱने
साझा
आकुल
दिवस बावले
पगलाई-सी
शाम
रिश्ते सारे
यात्री
हो गए
बचा मात्र
संताप
अपने घर में
अपनों से ही
अपनों को
संत्रास
गांव का दुश्मन
शहर हो गया
शहर का दुश्मन
गांव
चिन्तामग्न
चिनार
खड़े हैं
केसर-मन
क्षयशील
सब के
दुख में
सूख रही है
अम्मां-सी डलझील
दिन-दिन
पल-पल
क्षीण
हो रहे
आस्थाओं के गात