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"कविता / सरोज परमार" के अवतरणों में अंतर

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17:50, 29 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

तुम्हारे लिए कविता एक ख़ूबसूरत लड़की
जिसका शबाब शराब के हर दौर के बाद
और निखर उठता है
उनके लिए एक बदज़ात लड़की
है कविता
जो कवि के रिश्तों
अभिजात्य,रूप,अर्थ,रात,दिन,
लूट
दर-ब-दर भटकाती है.
हमारे लिए
जिस्म के पोर-पोर में समाने वाली
एक गंध है कविता
रूह की मादकता
हर सवाल का जावाब
हर अँधेरे का दीया
हमारी छाती में दुबकती
नन्ही बिटिया कविता
हमारा वजूद, हमारा आगत
ज़िन्दगी का जमा खाता
गुणा-भाग है कविता.