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"कैसे विस्मृत कर दूँ प्रिय! जो उस निशि की मधुर कहानी है / प्रेम नारायण 'पंकिल'" के अवतरणों में अंतर
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23:06, 31 जनवरी 2009 के समय का अवतरण
कैसे विस्मृत कर दूँ प्रिय! जो उस निशि की मधुर कहानी है।
उस गहन प्रीति को तौल सके क्या ऐसी बनी कमानी है !
रवि-विरह-ताप में तृप्त कमलिनी सर में सोयी निःश्वसिता।
कुमुदिनी अमृत पी विधु-घट से थी अतिसय नृत्य-रता मुदिता।
यामिनी-कर्ण में चन्द्र कनफुसी था कर रहा ज्योति वीणा।
थे छेड़ रहे जुगुनू अमन्द थी अभिनव प्रकृति हर्ष-लीना।
प्रिय! अब न निशा वैसी, विकला बावरिया बरसाने वाली ।
क्या प्राण निकलने पर आओगे जीवन-वन के वनमाली ॥77॥