भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तब्दीली / ब्रज श्रीवास्तव

2 bytes removed, 16:09, 2 फ़रवरी 2009
जाना-पहचाना सा कुछ भी
जो सुनना चाहता हू~महूँ
नहीं कहा जाता अब
जो देखना चाहता हू~महूँ
नहीं दिखाई देता
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,730
edits