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"बच्चे एक दिन / अशोक वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
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विस्मय से सुनते रहेंगे | विस्मय से सुनते रहेंगे |
19:39, 25 अगस्त 2006 का अवतरण
कवि: अशोक वाजपेयी
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बच्चे
अंतरिक्ष में
एक दिन निकलेंगे
अपनी धुन में,
और बीनकर ले आयेंगे
अधखाये फलों और
रकम-रकम के पत्थरों की तरह
कुछ तारों को ।
आकाश को पुरानी चाँदनी की तरह
अपने कंधों पर ढोकर
अपने खेल के लिए
उठा ले आयेंगे बच्चे
एक दिन ।
बच्चे एक दिन यमलोक पर धावा बोलेंगे
और छुड़ा ले आयेंगे
सब पुरखों को
वापस पृथ्वी पर,
और फिर आँखें फाड़े
विस्मय से सुनते रहेंगे
एक अनन्त कहानी
सदियों तक ।
बच्चे एक दिन......
(रचनाकालः1986)