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"मेरे महबूब / मीना कुमारी" के अवतरणों में अंतर
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01:53, 4 फ़रवरी 2009 का अवतरण
मेरे महबूब
जब दोपहर को
समुन्दर की लहरें
मेरे दिल की धड़कनों से हमआहंग होकर उठती हैं तो
आफ़ताब की हयात आफ़री शुआओं से मुझे
तेरी जुदाई को बर्दाश्त करनें की क़ुव्वत1 मिलती है
शब्दार्थ: 1, ताक़त, बल, क़ुवत