भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सिर से ऊपर गुज़र गया पानी / जहीर कुरैशी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जहीर कुरैशी |संग्रह=चांदनी का दु:ख }} Category:ग़ज़ल <po...) |
विनय प्रजापति (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 21: | पंक्ति 21: | ||
कितनी नावें नदी में डूब गयीं | कितनी नावें नदी में डूब गयीं | ||
किन्तु हर बार तर गया पानी | किन्तु हर बार तर गया पानी | ||
− | </poem | + | </poem> |
10:19, 4 फ़रवरी 2009 का अवतरण
सिर से ऊपर गुज़र गया पानी
उसकी आँखों में भर गया पानी
’एक्स-रे’ की रिपोर्ट कहती है
फेफड़ों में उतर गया पानी
आग जो काम कर नहीं पाई
वे बड़े काम कर गया पानी
उनकी आँखों में कैसी लाज-शरम
जिनकी आँखों का मर गया पानी
कितनी नावें नदी में डूब गयीं
किन्तु हर बार तर गया पानी