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"बाँझ समय / तेज राम शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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11:27, 4 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

इस बाँझ समय में
उपेक्षित पड़े रहेंगे
सृजन के सपने

शिशु मुख में
छिपे रह जाएँगे
स्तनों के सपने
मिट्टी
रेत में ढूँढेगी
अपने सपने

इस समय के मुँह को
और मैला कर जाएँगे
जल,वायु और आकाश
दीपावली का नहीं
यह उलटबासियों के
उत्सव का समय है।