भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तो / लीलाधर जगूड़ी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|संग्रह = घबराये हुए शब्द / लीलाधर जगूड़ी  
 
|संग्रह = घबराये हुए शब्द / लीलाधर जगूड़ी  
 
}}
 
}}
 
+
<Poem>
 
जब उसने कहा
 
जब उसने कहा
 
 
कि अब सोना नहीं मिलेगा
 
कि अब सोना नहीं मिलेगा
 
 
तो मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ा
 
तो मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ा
 
 
पर अगर वह कहता
 
पर अगर वह कहता
 
 
कि अब नमक नहीं मिलेगा
 
कि अब नमक नहीं मिलेगा
 
 
तो शायद मैं रो पड़ता ।
 
तो शायद मैं रो पड़ता ।
 +
</poem>

01:12, 5 फ़रवरी 2009 का अवतरण

जब उसने कहा
कि अब सोना नहीं मिलेगा
तो मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ा
पर अगर वह कहता
कि अब नमक नहीं मिलेगा
तो शायद मैं रो पड़ता ।