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"उतना-उतना / केशव" के अवतरणों में अंतर

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00:14, 7 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

आदमी

प्यार कर सकता है
जितना-जितना
जी सकता है
उतना-उतना

विष पी सकता है
उतना जितना
अमृत में नहीं उसका हिस्सा
जिस तरह हवा भरती है
खोखल में
उसी तरह प्यार भरता है
मुझमें
और शायद उन सब में भी
जिनके जीवन में नहीं है
कोई दरख्त।