भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दफ़्तर / केशव" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव |संग्रह=|संग्रह=धरती होने का सुख / केशव }} <poem> ...)
 
(कोई अंतर नहीं)

00:56, 7 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

दफ्तर झलकता
हमारी हर भंगिमा से
दफ्तर चलता
हर यात्रा में हमारे साथ
दफ्तर बहता
हमारी रगों में
दफ्तर करता
घर से दूर
दफ्तर को हम
ओढ़ने-बिछाने को मजबूर!

दफ्तर शादी-ब्याह में
दफ्तर मरने-जीने में
दफ्तर की घुसपैठ
जीवन के रंगों में
दफ्तर के बस में हम
फिर भी हमारे बस में नहीं दफ्तर
दफ्तर ही जीवन का सच
बाकी सब झूठ

आसान है दफ्तर में छुट्टी
मुश्किल है दफ्तर से मुक्ति।