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"बातें / केशव" के अवतरणों में अंतर

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01:51, 7 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

बड़ी-बड़ी बातों में
छिपी रहती है
छोटा करने की मंशा
जैसे शहतीर के भीतर घुन

छोटी-छोटी बातों में
निर्दोष खुशी
जैसे बच्चे के कंठ में
किलकारी

फिर भी
बड़ी-बड़ी बातों के पीछे
हाल-बेहाल हम
छोटी-छोटी बातों का
सिर्फ भरते दम
जैसे
द्वार खुले
खिड़कियाँ बंद।