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"कथन / केशव" के अवतरणों में अंतर

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01:58, 7 फ़रवरी 2009 के समय का अवतरण

तुम कहती हो
छूना नहीं मुझे
छूने से हम
थोड़ा पराये हो जाते हैं
मैं कहता हूँ
स्पर्श तो ब्रह्म है
आज तक हम गुज़रते रहे
इसमें से होकर
अब इसे
हमसे होकर गुज़रने दो
मन से होकर गुज़रेगा
जब-जब
देह से थोड़ा-थोड़ा कर
ऊपर उठेंगे हम।